लगातार कई दिनों तक रहने वाले बुखार से अगर सिर में दर्द और सीने में जलन होने लगे तथा इसके साथ साथ पूरे बदन में कमजोरी महसूस होने लगे, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि ये टाइफाइड मलेरिया के लक्षण हो सकते हैं।शरीर को अत्यंत कष्ट देने वाले टाइफाइड का हिंदी नाम मोतीझारा व मियादी बुखार है। यदि आप या आपके किसी फ्रेंड को इस बीमारी ने घेर लिया है और आप टाइफाइड का नुकसान और टाइफाइड कितने दिन तक रहता है। जैसे सवालों का जवाब ढूंढ रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। typhoid home remedies के इस लेख में आपको टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज बिल्कुल आसान भाषा मे बताया जाएगा।नीचे बताये जा रहे टाइफाइड बीमारी की दवा को इस्तेमाल करके आप टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज आसानी से घर बैठे ही कर सकते हैं।

टाइफाइड क्यों और कैसे होता है?
टाइफाइड बैक्टीरियल इंफेक्शन के द्वारा होने वाली एक बीमारी है जो अधिकांशतः गर्मी और बरसात के मौसम में अधिक होती है। क्योंकि इस समय बैक्टीरिया के पनपने के लिए उचित जलवायु मौजूद रहती है।असुद्ध भोजन करने तथा गन्दे पानी को पीने से मसाल्मोनेला एनटेरिका सेरोटाइप टाइफा नामक बैक्टीरिया शरीर के अंदर चले जाते हैं जो आंतो के अंदर इंफेक्शन को जन्म देते हैं।बारिश के मौसम में बच्चों की उचित देखभाल करना चाहिए क्योंकि ये बैक्टीरिया बच्चों को अत्यधिक तीव्र गति से संक्रमित करने की क्षमता अपने अंदर रखता है।अब आप अच्छी तरह से समझ गए होंगे कि टाइफाइड कैसे होता है और टाइफाइड किसके द्वारा होता है।
टाइफाइड के लक्षण हिंदी
टाइफाइड होने पर रोगी के शरीर पर शुरुआती दिनों में किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं, या महसूस नहीं होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीते जाते हैं वैसे वैसे ही रोगी के शरीर पर कई तरह के लक्षण जाहिर होने लगते हैं।टाइफाइड के लक्षण हिंदी में जानने के लिए नीचे पोस्ट को पूरा पढ़ें-
- पेट में दर्द का होना
- डायरिया का हो जाना
- पूरे शरीर में दर्द का होना
- सिर में दर्द होना
- सीने में जलन का होना
- शरीर में कमजोरी महसूस होना
- मल त्याग करते समय गुदा द्वार से खून का आना
- रक्त के अंदर से तीव्र गति से टीएलसी की गिरावट
- भोजन का ना पचना
- बार-बार उल्टी का आना
- शरीर पर रैशेज का पड़ जाना आदि आदि।
टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का उपाय
टाइफाइड जैसी घातक बीमारी को जड़ से खत्म करने के कई सारे विकल्प हमारे अपनी रसोई व पास के क्लीनिक पर मौजूद हैं। जिनका उपयोग करके व्यक्ति टाइफाइड बीमारी का उपचार आसानी से कर सकता है।वैसे तो समान्यतः लोग बगैर किसी डॉक्टर की सलाह पर टाइफाइड में पेरासिटामोल की खुराक का इस्तेमाल करते हैं जो रोगी के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है। ऊपर बताए गए कुछ लक्षण यदि रोगी के शरीर में दिखाई पड़ते हैं तो सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि इस तरह के लक्षण टाइफाइड रोग की निशानी हो सकते हैं।आगे की कार्यवाही में सबसे पहले आप किसी योग्य डॉक्टर की सलाह पर अपने खून की जांच करवा लें। जो आपके आसपास की बाजार में बड़ी ही आसानी से 2 से ₹3 सौ रुपये में हो जाएगी। खून की जांच होने के उपरांत ये स्पष्ट हो जाएगा कि आपके शरीर में टाइफाइड का इंफेक्शन है या वैसे ही मौसमी बुखार की समस्या है।
खून की जांच में यदि टाइफाइड रोग की पुष्टि हो जाती है तो आपको किसी अच्छे अंग्रेजी डॉक्टर से अथवा टाइफाइड का देसी इलाज से अपना इलाज करना चाहिए।
टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज
आयुर्वेद में टाइफाइड बीमारी की दवा के रूप में कई सारे बेहतरीन नुस्खे उपलब्ध हैं,जिनका प्रयोग करके आप टाइफाइड बुखार को एक से दो हफ्तों में सफलतापूर्वक दूर भगा सकते हैं।आम जनमानस रसोई में हमेशा उपलब्ध रहने वाले कुछ आयुर्वेदिक तत्त्वों को दवा के रूप में प्रयोग करके टाइफाइड के नुकसान को काफी हद तक कम कर सकते हैं। बहुत ही कम कीमत में सुगमता से उपलब्ध हो जाने वाली ये औषधियां रोगी को धन हानि से बचा सकती हैं।आइये जानते हैं टाइफाइड का इलाज में फायदा पहुंचाने वाले कुछ औषधीय गुणों से परिपूर्ण जड़ीबूटियों के विषय में-
लहसुन से टाइफाइड का उपचार
लहसुन के अंदर बहुत सी बीमारियों को जड़ से खत्म करने की ताकत होती है क्योंकि इसमें एंटी सैप्टिक गुण के अलावा एंटीबैक्टीरियल गुण भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।जब भी आपको लगे कि आप मोतीझरा या मियादी बुखार से ग्रसित हो गयें हैं तो बगैर समय गवाएं लहसुन का उपयोग करें ये स्वास्थ्य के लिए काफी हितकारी साबित होता है।प्रयोग विधि-लहसुन की 6 से 7 कली को देसी घी में भूनकर खाएं।
शहद से टाइफाइड बुखार का इलाज
(1)शहद बहुत सारे औषधीय गुणों से परिपूर्ण एक बहुमूल्य पदार्थ है। इसकी खूबियों को देखकर लोग इसे इंसानों को प्रकृति के द्वारा दिया गया इक अनमोल तोहफा भी मानते हैं। शहद में एंटीबैक्टीरियल,एंटीवायरल तथा एंटीसेप्टिक गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जो टाइफाइड के इंफेक्शन को कम करने का काम करते हैं। टाइफाइड बुखार का घरेलू इलाज करने के लिए एक कप पानी में दो से तीन चम्मच शहद को मिलाकर पिए। शहद के चमत्कारी गुणों से typhoid fever जल्दी से जल्दी खत्म हो जाएगा। (2) शहद,पान अदरक से इलाज-अदरक, पान,शहद को बराबर मात्रा में ले लें,अदरक और पान को बारीक पीस लें और शहद के साथ में इस्तेमाल करें।टाइफाइड का घरेलू इलाज के रूप में ऊपर बताये गए नुस्खे का नियमित सेवन करने से रोगी को बहुत जल्दी लाभ होता है।
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टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज तुलसी
भारत मे हिन्दू धर्म के लोग धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी को देवी के रूप में मानते हैं।बहुत सारी भारतीय प्रचीन किताबें में तुलसी और तुलसी के गुणों को विस्तर पूर्वक बताया गया है।आज के आधुनिक जगत में तुलसी के ऊपर बहुत से रिसर्च हुवे हैं जिनसे प्राप्त हुए नतीजों के आधार पर हम कह सकते हैं कि तुलसी एक औषधीय पौधा है।तुलसी की पत्तियों का नियमित रूप सेवन करने से शरीर के कई सारे रोग स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।मीयादी भुखार में यदि तुलसी की पत्तियों को थोड़े से पानी मे उबाल कर पिया जाए तो मीयादी बुखार मात्र कुछ समय में ही समाप्त हो जाता है।
मधुरांतिक वटी से typhoid fever का इलाज
टाइफाइड जड़ से खत्म करने की दवा के रूप में मधुरांतिक वटी को दिन में तीन बार इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन यदि बुखार 100 डिग्री के ऊपर है तो साथ में दिन में एक बार अमृतारिष्ट का प्रयोग भी करें। इसके इस्तेमाल से 20 से 25 दिन के अंदर मियादी बुखार जड़ से खत्म हो जाएगा। ध्यान रखें यह दवाएं किसी कुशल वैध की सलाह पर ही इस्तेमाल करें।
बबूल की छाल से इलाज
बबूल की छाल में बुखार को कम करने के औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। बबूल की छाल को तीन गिलास पानी में इतना उबालें कि पानी आधा हो जाए।अब इसपानी को किसी साफ कपड़े या छन्नी से छान लें।सुबह और शाम में भोजन करने से एक घंटा पहले बबूल की छाल से बनाए गए काढ़े को पियें।इस काढ़े को लगातार प्रयोग करने से बुखार धीरे धीरे समाप्त हो जाता है।
लौंग से बुखार का इलाज
हमारी और आपकी रसोई में हमेशा उपलब्ध रहने वाली लौंग से भी हम और आप घर पर ही मीयादी बुखार या मलेरिया के बुखार का उपचार सरलता से कर सकते हैं।3 लीटर पानी में 10 लौंग की कली को इतना उबालें की पानी जल कर आधा रह जाये।अब इस पानी को किसी साफ कपड़े से छान कर ठंडा होने के लिए रख दें।पूरे दिन थोड़ी थोड़ी देर में इस पानी को पीते रहें।ये पानी मोतीझरा बुखार और बुखार की वजह से शरीर में रहने वाले दर्द को ठीक कर देगा।
टाइफाइड के नुकसान
ये बीमारी संक्रमण से होने वाली अन्य बीमारियों से बिल्कुल अलग है। क्योंकि संक्रमण से होने वाली अन्य बीमारियां रोगी को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाती हैं।लेकिन टाइफाइड का संक्रमण रोगी को कई सारी परेशानियों से परिचित कराते हैं। मियादी बुखार के नुकसान को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।
- टाइफाइड का संक्रमण रोगी के शरीर को अत्यंत कमजोर बना देता है। शरीर कमजोर हो जाने पर रोगी को कई अन्य बीमारियां भी जकड़ लेती हैं।इसीलिए बगैर समय बर्बाद किए इस बीमारी का उचित इलाज समय रहते करवा लेना चाहिए।
- लगातार बुखार के बने रहने से रोगी के अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता है।
- दूषित भोजन करने व पानी पीने से टाइफी नामक बैक्टीरिया शरीर के अंदर चला जाता है जो आंतों को सबसे पहले संक्रमित करता है। आंतों के संक्रमित हो जाने पर रोगी को जल्दी भूख नहीं लगती है तथा खाये पिये गए भोज्य पदार्थ के पचने में भी व्यवधान उत्पन्न हो जाता है।
- इस घातक संक्रमण से लीवर के संक्रमण होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है।
- बुखार के लगातार बने रहने के कारण रोगी के शरीर में खून की कमी होने लगती है।
- कभी-कभी रोगी के मल त्यागने के दौरान गुदा द्वार से खून रिसने लगता है।
- इस बीमारी से ग्रसित होने वाले रोगियों के शरीर में असहनीय दर्द उत्पन्न हो जाता है जिसके कारण रोगी को चलने फिरने तथा उठने बैठने में काफी ज्यादा कठिनाई पेश आती है।
टाइफाइड में परहेज
ऊपर दी गई जानकारियों को पढ़कर आप अच्छी तरह से जान गए होंगे की यह बीमारी बैक्टीरिया के कारण होती है। जो हमारी और आपकी लापरवाही के कारण भोजन, पानी के द्वारा शरीर के अंदर चले जाते हैं। साफ सफाई पर उचित ध्यान देकर इस तरह की बीमारी से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।जो लोग इस तरह के संक्रमण से संक्रमित हो चुके हैं उनके मन में हमेशा यह सवाल उमड़ता रहता है कि टाइफाइड में जल्दी ठीक होने के लिए क्या खाएं? और क्या नहीं खाएं। ऐसे लोगों के लिए कुछ परहेज बताया जा रहा है जिन पर अमल करके रोग की तीव्रता को आसानी से कम किया जा सकता है।
- अत्यधिक वसा वाले भोजन से दूर रहें।जिस के क्रम में कुछ दिनों के लिए नॉनवेज को भोजन के रूप में ग्रहण ना करें। इसके अलावा अन्य फैटी भोज्य पदार्थ का सेवन संक्रमण के दौरान कदापि ना करें।
- संक्रमण के समय तली भुनी चीजों को भोजन के रूप में ग्रहण ना करें।
- यह बीमारी बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है इसलिए स्ट्रीट फूड (बाहर के खाने) का कुछ समय तक बहिष्कार करें। क्योंकि स्ट्रीट फूड संक्रमण फैलाने के प्रमुख कारक होते हैं।
- मसालेदार भोज्य पदार्थ से दूरी बनाए रखें।
- जिन सब्जियों या अन्न में अधिक फाइबर पाए जाते हैं उनसे दूरी बनाए रखें।
- संक्रमण के दौरान शरीर की इम्यूनिटी कम हो जाती है इसीलिए शराब बीड़ी पान तमाखू से परहेज करें। ये पहले से ही कमजोर हो चुके शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम को और ज्यादा कमजोर करते हैं।
- संक्रमण के दौरान अधिक आराम करने पर फोकस रखें।
- भोजन में विटामिन ए,बी,सी को शामिल करें।
- शरीर में पानी की कमी ना होने पाए इसलिए हल्का गुनगुना पानी थोड़ी थोड़ी देर में पीते रहे।
- शरीर में पानी के लेबल को मेंटेन करने के लिए नारियल पानी का उपयोग करें।
- साफ सफाई का अधिक ध्यान रखें उठने बैठने व सोने की जगह को हमेशा साफ रखें।
- कुछ भी खाने और पीने से पहले हाथ को साबुन से अच्छी तरह से साफ कर ले।
- जब तक जरूरी ना हो तब तक टाइफाइड में नहाना उचित नहीं है।पानी में कपड़े को भिगोकर रोगी के शरीर को साफ कर देना उचित रहता है।
निष्कर्ष
अयोध्या दर्शन के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बहुत से लोगों ने कमेंट करके पूछा था कि टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज बताइए।जिसके अनुक्रम में टाइफाइड का इलाज और परहेज से सम्बंधित लेख की रचना की गई है। इस लेख के माध्यम से टाइफाइड की पहचान क्या है?टाइफाइड किसकी कमी से होता है?एवं टाइफाइड बुखार का असर कितने दिन तक रहता है? जैसे हमेशा पूछें जाने वाले सवालों से अपने पाठकों को परिचित कराने का प्रयास किया गया है।लेख में टाइफाइड का रामबाण इलाज घर पर करने के कई बेहतरीन नुस्खे और परहेज बताये गए हैं।यदि ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो किर्पया अपने दोस्तों व रिश्तदारों को भी शेयर करें ताकि और जरूरतमंद लोगों तक सही जानकारी पहुंच सके।
नोट-पोस्ट में बताए गए सभी नुस्खे मात्र लोगों को जागरूक करने के लिए है।किसी भी बीमारी का इलाज करने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या वैध से सलाह मशविरा करना आवश्यक होता है।
bahut achchi jankaari di hai aapne is post me
aapka bahut shukriya
हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया सर जी