पेट की चर्बी जिसे हम बैली फैट के नाम से जानते हैं अनियंत्रित दिनचर्या एवं अनियंत्रित खानपान के कारण शरीर में अधिक चर्बी (फैट) जमा होने लगता है। जिसका असर कमर के आसपास तथा पेट के नीचे अधिक देखने को मिलता है। पेट या कमर के आसपास व्हाइट फैट के जम जाने पर मनुष्य के शरीर में हानिकारक बदलाव आ जाते हैं। जिसके कारण मनुष्य को चलने फिरने, काम करने, उठने बैठने में समस्या पेश आने लगती है तथा वह अपनी उम्र से अधिक दिखाई पड़ने लगता है। इस लेख के माध्यम से पाठक साथियों को पेट की चर्बी कम करने का आयुर्वेदिक उपाय बताया जाएगा। यदि आप भी पेट की चर्बी ( बैली फैट) की समस्या से ग्रसित हैं और इसका इलाज आयुर्वेद के माध्यम से करना चाहते हैं तो कृपया पोस्ट पर बने रहें। इस पोस्ट के माध्यम से बैली फैट की समस्या के निदान को बताया जाएगा।

पेट की चर्बी क्या है
मनुष्य के शरीर में मेटाबॉलिज्म नाम का एक एंजाइम होता है जो शरीर में वसा (चर्बी) के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होता है। मेटाबॉलिज्म जब हमारी खराब आदतों के कारण या अन्य किसी कारण अनियंत्रित हो जाता है तो वह अधिक मात्रा में फैट का उत्पादन करने लगता है। शरीर में वसा का उत्पादन अधिक मात्रा में हो जाने पर शरीर चर्बी के पूरी मात्रा का अवशोषण नहीं कर पाता है जिसके कारण बची हुई चर्बी पेट के निचले हिस्से पर जमा होने लगती है जो हार्ट अटैक, शुगर जैसी बीमारियों का मूल कारण बनता है।
पेट की चर्बी (बैली फैट) बनने के कारण
शरीर में बैली फैट बनने के कई कारण उत्तरदाई होते हैं जिनको नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।
गलत खानपान
गलत खानपान अपनाने पर अक्सर शरीर में फैट की मात्रा तेजी से बढ़ने लगती है। मनुष्य अपने स्वाद को प्राथमिकता देते हुए शरीर के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों जैसे बाजारों में बिकने वाले तमाम तरह के फास्ट फूड चाऊमीन बर्गर चार्ट होटल का खाना एवं तली भूनी चीजें को अपने भोजन में इस्तेमाल करने लगता है। जबकि इस तरह का खानपान शरीर के मेटाबॉलिज्म की कार्य करने की क्षमताओं को अनियंत्रित कर देता है जिसके कारण शरीर में अधिक चर्बी का उत्पादन होने लगता है।

शारीरिक निष्क्रियता
शारीरिक रूप से निष्क्रिय व्यक्तियों में पेट की चर्बी की समस्या अधिक तेजी से जन्म लेती है क्योंकि व्यक्ति का शरीर उत्पादित किए जा रहे वसा का अवशोषण नहीं कर पाता है। शरीर के निष्क्रिय रहने पर शरीर कैलोरी को बर्न नहीं करता है इसलिए पेट के निचले हिस्से में सफेद चर्बी जमा होने लगती है जो कुछ ही दिनों में व्यक्ति के शरीर की संरचना को बदल कर रख देता है।पूरी दुनिया में लगभग 70 परसेंट लोग इस समस्या से ग्रसित हैं।
आनुवंशिक कारण
संसार में जन्म लेने वाला हर जीव अपने माता-पिता से उनके अच्छे व बुरे अनुवांशिक गुणों को लेकर पैदा होता है। कभी-कभी यह अनुवांशिक गुण मनुष्य के लिए फायदेमंद होते हैं तो कभी कभी यह अनुवांशिक गुण अत्यंत हानिकारक साबित होते हैं। पेट की चर्बी भी अधिकतर अनुवांशिक गुणों के कारण जन्म ले लेती है। इसको मोटे तौर पर इस तरह से समझना चाहिए कि यदि मनुष्य के माता पिता, दादा दादी, नाना नानी किसी के अंदर किसी तरह की बीमारी है तब वह सम्भवतः उनके द्वारा पैदा होने वाली संतानों के अंदर भी ट्रांसफर हो सकती है। शरीर में अधिक चर्बी बनने पर अनुवांशिक कारण उत्तरदाई हो सकता है।
मानसिक तनाव के कारण
कई तरह के अध्ययनों में यह बात साबित हो चुकी है कि मानसिक तनाव से ग्रस्त रहने वाले व्यक्ति को मोटापा की बीमारी बहुत ही जल्द अपनी चपेट में ले लेती है। जिसके कारण व्यक्ति के शरीर में कई तरह के बदलाव दिखाई पड़ने लगते हैं जिनमें पेट के नीचे चर्बी या बैली फैट का आ जाना भी है।
पेट की चर्बी कम करने का आयुर्वेदिक उपाय medicine
पेट की चर्बी घटाने का आयुर्वेदिक उपचार– पेट की चर्बी कम करने के बहुत सारे घरेलू तथा आयुर्वेदिक उपाय हमारे और आपके अपने घरों के किचन में मौजूद रहते हैं। जिन को इस्तेमाल करके बैली फैट की समस्या का निदान किया जा सकता है। वैसे तो इस समस्या के निदान के लिए पूरी दुनिया के लोग परेशान रहते हैं। लेकिन समस्या का निदान वही लोग कर पाते हैं जिनकी इच्छाशक्ति उनके अपने हाथों में होती हैं। नीचे बताये जा रहे आयुर्वेदिक उपायों को अपना कर आप भी अपने किचन में ही पेट की चर्बी को कम करने का उपाय कर सकते हैं।
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दालचीनी और दही से पेट की चर्बी कम करने का आयुर्वेदिक उपाय hindi
दालचीनी ओर दही के अंदर कई ऐसे औषधीय गुण पाए जाते है जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ साथ शरीर में मौजूद अतिरिक्त फैट (चर्बी) को तेजी से घटाने का कार्य करते हैं।इसलिए इन दोनों औषधियों के संयोजन से बने फार्मूले का इस्तेमाल पेट की चर्बी को कम करने के लिए करना चाहिए-
- दालचीनी को भून कर उसका पाउडर बना लें।
- एक चम्मच पाउडर को 50 ग्राम दही के साथ दिन में एक बार सेवन करें।
लहसुन से बैली फैट का सफाया
लहसुन के अंदर फैट को काटने वाले बहुमूल्य गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। प्रतिदिन दो से तीन लहसुन की कच्ची कलियों को खाने से पेट की अतिरिक्त चर्बी खत्म हो जाती है। इसके साथ साथ लहसुन के इस्तेमाल से पेट में बनने वाला कब्ज भी खत्म हो जाता है।
तरीका- लहसुन की 2 से 3 कलियां को साफ करके इसे सिलबट्टे या मिक्सर में पीसकर इसका पेस्ट तैयार कर लें। अब इस पेस्ट को सुबह खाली पेट इस्तेमाल करें। लहसुन की कच्ची कलियों को सुबह खाली पेट चबाकर खाने से भी लाभ प्राप्त होता है।
मिर्च और अलसी से बैली फैट का इलाज
लाल मिर्च को मेटाबॉलिज्म एक्टिव करने तथा कैलोरी को जलाने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा लाल मिर्च का सीमित इस्तेमाल पेट के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है। जबकि अलसी के अंदर एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इन दोनों के संयोजन से तैयार फार्मूले को पेट की चर्बी को समाप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है इस फार्मूले का संयमित इस्तेमाल धीरे-धीरे बैली फैट का खात्मा आसानी से कर देता है।
तरीका- ऊपर बताए गए लाल मिर्च और अलसी को भोजन में सीमित मात्रा में इस्तेमाल करें। अधिक मात्रा में लाल मिर्च का इस्तेमाल ना करें अन्यथा शौच के समय परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
अदरक से पेट की चर्बी घटाने का आयुर्वेदिक उपचार
पेट की चर्बी कम करने के लिए आयुर्वेदिक दवा के रूप में अदरक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको सूखे अदरक पाउडर की जरूरत पड़ेगी क्योंकि इस पाउडर के अंदर मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने की अपार शक्ति होती है इसके अलावा अदरक मैं थर्मोजेनिक एजेंट होता है जो चर्बी को काटने का काम बेहतरीन तरीके से करता है। इसका इस्तेमाल दिन में दो बार कर सकते हैं
तरीका- सूखे अदरक पाउडर को एक गिलास पानी में उबाल लें अब इसको छानकर पाउडर को अलग कर दें तथा पानी को चाय की तरह धीरे-धीरे चुस्कियां लेकर पिए।
मेथी से पेट की चर्बी कम करने का आयुर्वेदिक उपाय
हमेशा किचन में उपलब्ध रहने वाला मेथी पेट की चर्बी को कम करने के लिए अत्यंत फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि इसके अंदर चर्बी रोधक गुण पाए जाते हैं। मेथी को रात भर एक गिलास पानी में भिगो दें सुबह खाली पेट इस पानी को पीने से कुछ ही दिनों में आपको आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलेंगे।
तिरफला से बैली फैट का इलाज
त्रिफला एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जो पेट में उपस्थित तमाम तरह के विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल देता है तथा मेटाबॉलिज्म को एक्टिव रखने में अहम भूमिका अदा करता है।इसीलिए पेट व कमर के आसपास के अतिरिक्त फैट को हटाने के लिए त्रिफला का इस्तेमाल काफी ज्यादा फायदेमंद साबित होता है इसके साथ-साथ त्रिफला कब्ज की समस्या को भी खत्म कर देता है।
तरीका- त्रिफला फल को पीसकर चूर्ण बनाकर इस्तेमाल करें।
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