बिक गया एन डी टी वी/Sold out NDTV

कल का दिन यानी 23 अगस्त 2022 को भारतीय अर्थ जगत में उफान आ गया जब गौतम अडानी की सहयोगी कंपनियों ने एनडीटीवी की 29.18% हिस्सेदारी को खरीदने का प्रेस बुलेटिन जारी किया जिसके कारण एनडीटीवी के शेयर्स में भारी उछाल देखने को मिला यह वही एनडीटीवी है जो मोदी सरकार के फैसलों के ऊपर हमेशा सवाल करती रही है गौतम अडानी को प्रधानमंत्री मोदी से मित्र वक्त संबंध सभी को मालूम है इसीलिए पूरे देश की नजरें इस कारपोरेट दिल पर लगी हुई हैं बहुत से लोग इस डील की जानकारी सरल शब्दों में प्राप्त करना चाहते हैं इसीलिए हम आपको अपने ब्लॉग के माध्यम से सरल शब्दों में इस दिल की सारी जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे गौतम अडानी और एनडीटीवी के इस दिल को समझने के लिए हम आपको सबसे पहले यह बताएंगे कि –

बिक गया एन डी टी वी/Sold out NDTV

एनडीटीवी का इतिहास/History of ndtv

8 सितंबर सन 1988 को प्रणय राय व उनकी पत्नी राधिका राय ने न्यू दिल्ली टेलीविजन (NDTV) की शुरुआत लाइव इलेक्शन कैंपेनिंग एवं न्यूज़ चैनल के लिए किया था। अपने शुरुआती दिनों में यह स्टार नेटवर्क के साथ मिलकर काम करता था। इसने कुछ समय के लिए बीबीसी के कंटेंट भी तैयार किए थे। सन 1998 में ऑनलाइन इसकी शुरुआत भी की गई। एनडीटीवी की न्यूज़ वेबसाइट भी है। एनडीटीवी का भारतीय न्यूज़ दर्शकों मैं बहुत ही गहरी पकड़ है दर्शक एनडीटीवी को सच्ची व निष्पक्ष खबरें दिखाने वाला चैनल बताते हैं। वित्तीय वित्तीय वर्ष 2021-22 मैं एनडीटीवी ने लगभग सवा चार सौ करोड़ का रेवेन्यू दिया था। जिसमें से उसका शुद्ध लाभ 85 करोड़ था और 123 करोड रुपए का EBITDA था।

गौतम अडानी कौन है/Who is gautam adani

यदि हम NDTV के पूरे सौदे को समझना चाहते हैं। तो हमें गौतम अडानी को जानना जरूरी होगा। जिनका इस सौदे में बहुत ही बड़ा किरदार रहा है। अडानी पहले पावर ,कोयला एवं पोर्ट में निवेश करके कारोबार कर रहे थे। लेकिन अभी वर्तमान समय में उन्होंने कारोबार के कई क्षेत्रों में भारी निवेश के साथ कदम रखा है। जिसमें उन्होंने सनसनीखेज तरीकों से तरक्की करके दुनिया के चौथे सबसे अमीर आदमी बन गए हैं। देश का एक समूह उनकी इस सफलता को वर्तमान भारत सरकार की अडानी पर कृपा दृष्टि भी मानता है।

गौतम अडानी ने एनडीटीवी को कैसे खरीदा

गौतम अडानी ने NDTV के 29% की हिस्सेदारी को अपने सहयोगी कंपनी AIL (अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड) के माध्यम से अप्रत्यक्ष तरीके से खरीदा है। जिसको आप लोग विस्तार में इस तरीके से समझ सकते हैं। एनडीटीवी को खरीदने के लिए एक दूसरे की सहयोगी रही चार कंपनियों का सहारा लिया गया है। जैसा कि आप पहले ही पढ़ चुके हैं कि 1988 में प्रणय राय एवं उनकी पत्नी राधिका राय ने अपने एवं अपनी कंपनी RRPR ( 29.18% हिस्सेदारी )के सहयोग से एनडीटीवी की शुरुआत की थी। एक दूसरी कंपनी VCPL( विश्व प्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड ) ने 2009 में RRPR को 404 करोड़ का कारपोरेट लोन दिया था।

जिसके कारण VCPL को RRPR का वारंट हासिल हो गया था। जिसके तहत RRPR के 99.9% के हिस्सेदारी पर VCPL का अधिकार हो गया था। अब आप लोगों के ख्याल में आ रहा होगा कि एनडीटीवी की 29.18 की असली मालिक तो VCPL है। लेकिन कहानी अभी और आगे भी है VCPL कंपनी को AMG मीडिया नेटवर्क AMNL ( जोकि अडानी की सहयोगी कंपनी है) फाइनेंस करती है। और AMNL कंपनी को AEL (अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड ) फाइनेंस करती है। इसी तरह से अप्रत्यक्ष रूप से गौतम अडानी ने अपने सहयोगी कंपनियों की मदद से एनडीटीवी के 29.18% शेयर्स को खरीद लिया है। बाकी के बचे 26 % हिस्सेदारी को ओपन ऑफर के जरिए खरीद लेगी ।

एनडीटीवी की CEO ने क्या कहा

इस भारी-भरकम डील को लेकर जब मीडिया ने एनडीटीवी के CEO सुपर्णा सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि मुझे ऐसे किसी भी डील की जानकारी नहीं है। और ना ही मुझे कुछ बताया गया है। कल 24 अगस्त 2022 को मैं अपने कार्यालय में मौजूद रहूंगी और आगे की कार्यवाही से आप सब को अवगत कर कराऊंगी। इसी के साथ उन्होंने कहा कि प्रणय राय एवं राधिका राय की NDTV में 32 %पर्सनल हिस्सेदारी बनी रहेगी।

अडानी मीडिया वेंचर्स/Adani midiya wenchrs

अडानी ने संजय पुगलिया को अपनी अडानी मीडिया वेंचर्स का नेतृत्व सौंपा है। उन्हीं की देखरेख में इस कारपोरेट डील को अंजाम दिया गया है। अब आगे से संजय पुगलिया ही अडानी के मीडिया कारोबार को देखेंगे।

राजू श्रीवास्तव की स्टोरी

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