जब से यह दुनिया बनी है। तब से इस फानी दुनिया में हजारों लाखों करोड़ इंसानों ने जन्म लिया है। लेकिन उन हजारों करोड़ों लोगों में से कुछ विरले व महान लोगों का नाम ही इतिहास में दर्ज है। इतिहास में दर्ज एक ऐसे ही नाम से हम आप सब को अवगत कराएंगे। जिनको पूरी दुनिया ख्वाजा गरीब नवाज या हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती के नाम से जानती है। आप दीन-ए-इस्लाम के पैरोकार थे। अल्लाह के नेक बन्दों में से आपको जाना जाता है।

आपने दुनिया में इंसानियत की एक मिसाल पेश की थी। ख्वाजा गरीब नवाज के बताए हुए रास्तों पर चल कर हम अपनी जिंदगी व दुनिया को एक नई पहचान दे सकते हैं। और अपनी जिंदगी व दूसरों की जिंदगी को संवार सकते हैं। हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती को दुनिया में गरीबों का मसीहा कहा जाता है। आपके दिल में गरीबों की मोहब्बत को देखकर आपके उस्ताद हजरत उस्मान हारुन ने आपको “गरीब नवाज” का लक़ब (उपनाम या पदवी) दिया था। अल्लाह ने आपको तमाम सलाहियत बख्शी थी। जिनकी वजह से आपने पूरी दुनिया को दीन ए इस्लाम के नेक चेहरे से वाकिफ करवाया था। आप सभी धर्मों का सम्मान करते थे। इसीलिए आज सभी धर्मों के लोग हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती का सम्मान करते हैं। और हर साल उनकी मजार अजमेर शरीफ पर जियारत के लिए जाते रहते हैं।
ख्वाजा गरीब नवाज का जन्म/हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म
ख्वाजा गरीब नवाज की पैदाइश की जगह को लेकर तमाम दानिशमंदों की अपनी अलग अलग राय है। कुछ लोगों का मानना है कि ख्वाजा गरीब नवाज की पैदाइश इसकन के संजर में हुई थी। जो कि इसफहन ईरान के पास मौजूद है। जबकि कुछ दानिशमंदों का मानना है। कि आप की पैदाइश इस्फहान में हुई थी। आप की पैदाइश के साल के बारे में भी अलग-अलग राय है। कुछ लोग सन 1137 (532 हिजरी) तो कुछ लोग 1142 (537 हिजरी) ,1140 (535 हिजरी), 1141 (536 हिजरी), 1130 (525 हिजरी) आदि मानते हैं।जबकि ज्यादातर लोगों का मानना है कि आप की पैदाइश 1135 ईस्वी (535 हिजरी) में हुई है। ख्वाजा गरीब नवाज के वालिद का नाम हजरत ख्वाजा गयासुद्दीन अहमद हसन था। जबकि मां के नाम पर भी लोगों की दो राय है। किसी का मानना है कि बीवी उम्मूल वारअ आपकी मां है। तो वहीं कुछ लोग बीबी माहनूर खालूश मलिका को आपकी मां मानते हैं।

ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षा
ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती को शुरुआती तालीम घर पर अपने मां बाप से ही मिली थी। आप बचपन से ही बहुत जहीन व तेज दिमाग के थे। 9 साल की उम्र में जहां आम बच्चे ठीक से बात करना भी नहीं सीख पाते हैं। वहीँ आपने उस उम्र में पूरी कुरान को हिफ़्ज़ कर लिया था। उसके बाद आपने संजर के मुकामी मदरसे में आगे की तालीम हासिल की।
ख़्वाजा गरीब नवाज का परिवार
- पिता- हजरत ख्वाजा ग्यासुद्दीन बिन अहमद हसन
- माता- बीबी उम्मुल वराअ/माहनूर खासुल मलिका
- पत्नी- (1)बीबी अमातुल्लाह (2)बीबी अस्मतुल्लाह
- पुत्र- 1-ख्वाजा फखरुद्दीन 2-ख़्वाजा हिसामुद्दीन 3-जियाउद्दीन अबु सईद
- बीबी हफीजा जमाल
ख्वाजा गरीब नवाज का प्रारंभिक जीवन
हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती के दिल में गरीब मजलूमों की मोहब्बत अल्लाह ने बचपन से ही पैदा कर दिया था। कहा जाता है कि आप जब अपनी मां की गोद में थे। तो उस वक्त अगर कोई खातून अपने बच्चों के साथ में आपके सामने आती। और उसका बच्चा रो रहा होता तो आप अपनी मां से एक खास तरह के इशारा अपनी मां से करते थे। तो आपकी मां आपके इशारों को समझ कर उस रोते हुए बच्चे को दूध पिला देती थी। उस वक्त आप बहुत ही ज्यादा खुश हो जाया करते थे। आप एक रहम दिल व नेक शख्सियत के मालिक थे। जिसकी मिशाल यह है कि जब आप 6 या 7 साल के थे। तब आप नए कपड़े पहन कर ईद की नमाज को अदा करने के लिए ईदगाह जा रहे थे। रास्ते में एक गरीब नबीना लड़का आपको मिला जो फटे पुराने कपड़े पहने हुए था। तब आपने अपने नए कपड़ों को उतारकर उस नबीना लड़के को पहना दिया। और उसको अपने साथ ईदगाह को लेकर गए।
आपका मन हमेशा नेकी के कामों में लगा रहता था। आप दरवेश और उलमाओं की बहुत इज्जत व एतराम किया करते थे। आप अभी 8 साल के ही थे कि अचानक आपके वालिद का इंतकाल हो गया। उसके बाद आपकी उम्र जब 15 साल की हुई तो मां भी इस फानी दुनिया से रुखसत हो गई। अपनी जिंदगी के सारे गमों को भूलकर नेक नियत के साथ आप अपने पुश्तैनी काम (अंगूरों के बाग और पनचक्की) में लग गए और अपनी दुनियावी जिंदगी जीने लगे।ख्वाजा का इतिहास नामक इस लेख के माध्यम से ख्वाजा गरीब नवाज कौन है के सम्बंध में और आधी जानने के लिए लेख पर बनें रहें।
हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती के सूफी जीवन की शुरुआत
544 हिजरी की बात है। ख्वाजा गरीब नवाज अपने अंगूर के बाग में काम कर रहे थे। तभी उनके बाग के रास्ते से अपने जमाने के एक अल्लाह के वली सूफी हजरत इब्राहिम कन्दोल कहीं जा रहे थे। ख्वाजा गरीब नवाज ने दरवेश को देखा और उनको खाने के लिए अंगूर का गुच्छा दिया। और कुछ देर आराम करने की गुजारिश की। हजरत इब्राहिम कन्दोल जी ख्वाजा गरीब नवाज जी की खिदमत से बहुत खुश हुए।
और उन्होंने अपने झोले से कोई खाने वाली चीज को निकालकर अपने मुंह में रखा और उस को चबाकर निकाल दिया। अब उस जूठन चीज को ख्वाजा जी से खाने को कहा। जिसे ख्वाजा जी ने बड़े ही एतराम व खुशी से खा लिया। कुछ देर आराम करने के बाद इब्राहिम कन्दोल जी वहां से चले गए।लेकिन उनके जूठन को खाने के बाद ख्वाजा गरीब नवाज के दिल में अल्लाह की लौ जल गई।दुनिया की मोहब्बत आपके दिल से फना हो गई। आपने अपने बाग व पनचक्की को बेचकर गरीबों में खर्च कर दिया। और हक की राह पर चल पड़े।
ख्वाजा गरीब नवाज का सफरनामा
अपना सब कुछ गरीबों पर खर्च करके आप हक की तलाश में समरकंद बगदाद बुखारा इराक अरब मुल्के शाम (सीरिया) की खाक छानते रहे। आपने 544 हिजरी से 550 हिजरी तक हजरत मौलाना हिसामुद्दीन व मौलाना सरफुद्दीन साहब से इल्म हासिल किया। 550 हिजरी में आपकी मुलाकात अल्लाह के वली हजरत गौसे आजम रहमतुल्लाह अलेह से हुई। 552 हिजरी में आपने हजरत उस्मान हारुनी रहमतुल्ला अलेह को अपना पीर मानते हुए उनके हाथों पर बैयत कर ली। हजरत उस्मान हारुनी की शागिर्दगी में ख्वाजा जी का दिल रूहानियत से लबालब हो गया। 555 हिजरी में शेख जियाउद्दीन अबू नजीब अब्दुल कादिर सोहरवर्दी रहमतुल्ला अलेह से आपकी मुलाकात हुई।
563 हिजरी में हजरत उस्मान हारुनी रहमतुल्लाह अलैह ने आपको झुब्बा मुबारक पेश किया। और आपको अपने साथ हज के लिए मक्का मुकर्रमा ले गए। मक्का में उस्मान हारुन रहमतुल्लाह आले ने बैतुल्लाह के सामने अपने शागिर्द हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती के हक में अल्लाह से दुआ मांगी। 580 हिजरी में आपकी एक बार फिर से हजरत गौसे आजम रहमतुल्लाह आले से मुलाकात हुई। 582 हिजरी में समरकन्द शहर में हजरत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्ला अलेह ने आपके हाथों पर बैयत की और आपके मुरीद बन गए। 585 हिजरी को समरकंद में आपके पीर हजरत उस्मान हारुनी रहमतुल्लाह ने आपको खिलाफत आता की थी।


ख्वाजा गरीब नवाज भारत में कब आए
गरीब नवाज भारत मे कब आए थे? सन 1188 ईस्वी (585 हिजरी) में ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलेह। अपने मुरीद हजरत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्ला अलेह के साथ समरकंद से मक्का मुकर्रमा तश्रीफ ले गए थे। कहते हैं कि मक्का में हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलेह के ख्वाब में। अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला आलिहि वसल्लम आए।और ख्वाजा जी को हुक्म दिया। कि हिंदुस्तान की तरफ जाओ और वहां पर दीन ए इलाही का काम करो। ख्वाजा जी ने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हुक्म को मानते हुए भारत की तरफ चल दिए।
रास्ते में तमाम पीर दरवेशों की दुआओं के साथ गरीबों मजलूमों की मदद करते हुए। आप सबसे पहले लाहौर (तब हिंदुस्तान में आता था) पहुंचे।कुछ दिन लाहौर में ठहरने के बाद आप 1190 इसवी (587 हिजरी) में 52 साल की उम्र में भारत में राजस्थान के अजमेर शहर पहुंचे। उस समय राजस्थान की हुकूमत पृथ्वीराज चौहान के हाथों में थी। ख्वाजा गरीब नवाज ने अजमेर में रहकर अल्लाह की दी हुई सलाहियतों के साथ।यहां के गरीब मजलूमों की सेवा बिना जाति धर्म को देखकर करते रहे। आपके हिंदुस्तान तशरीफ़ लाने से हिंदुस्तान में दीन-ए- इस्लाम के सूखे दरख़्तों में एक नई जान पैदा हो गई थी। आपकी सलाहियतों व करामातों को देखकर जादूगर जयपाल व साधु राम व बड़ी-बड़ी हस्तियों सहित लाखों लोगों ने इस्लाम कुबूल कर लिया था। आपने 564 हिजरी में अजमेर से दिल्ली का सफर किया था।
हिंदुस्तान में चिश्तिया सिलसिले की शुरुआत
हजरत ख्वाजा गरीब नवाज के हिंदुस्तान आने के बाद। बहुत से आम व खास लोग आपके मुरीद व शागिर्द बने। हिंदुस्तान में इन लोगों को चिश्तिया के नाम से जाना जाता है।इसको ऐसे भी समझ सकते हैं।हिंदुस्तान में आपके आने के बाद से हिंदुस्तान में चिश्तिया सिलसिले की शुरुआत हुई। वैसे तो आपके लाखों मुरीद थे। ऐसे में सभी के नामों को लिख पाना नामुमकिन है। इसलिए हम आप के कुछ मशहूर मुरीदों शागिर्दों के नाम यहां पर लिख रहे हैं। जिन्होंने आप के नक्शे कदम पर चलते हुए लोगों को इंसानियत की सीख दी है।
ख्वाजा गरीब नवाज/हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती के मुरीदों के नाम
- हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्ला अलैह देहलवी
- हजरत ख्वाजा हमीदुद्दीन नागोरी रहमतुल्लाह( नागौर)
- हजरत ख्वाजा फरीदुद्दीन गंजे शंकर रहमतुल्ला (पाक पट्टन पाकिस्तान)
- हजरत ख्वाजा अलाउद्दीन साबिर कलियरी रहमतुल्लाह (कलियर शरीफ)
- हजरत ख्वाजा शमसुद्दीन रहमतुल्ला पानीपति(पानीपत)
- हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्ला अलैह देहलवी (दिल्ली)
- हजरत ख्वाजा नसीरूद्दीन चिराग रहमतुल्लाह (दिल्ली)
- अमीर खुसरो (दिल्ली)
- हजरत बुरहानुद्दीन गरीब खुल्दाबादी रहमतुल्ला (महाराष्ट्र)
- हजरत जलालुद्दीन रहमतुल्लाह फतेहाबादी (महाराष्ट्र)
- हजरत मोहम्मद हुसैन गेसू दराज बंदा नवाज गुलबर्गा (कर्नाटका)
- हजरत सैयद अहमद बड़े पा लांसर (हैदराबाद)
- हजरत सिराजुद्दीन आरजू सिराज (आईना-ए-हिंद बंगाल)
- हजरत शाह नियाज अहमद रहमतुल्लाह( बरेली)
- हजरत मखदूम अशरफ सिम्नानी रहमतुल्लाह अलैह (किछौछा शरीफ उत्तर प्रदेश)
ख्वाजा गरीब नवाज की करामात
आप सब को पहले ही बताया जा चुका है कि खाजा गरीब नवाज को अल्लाह ने बेशुमार सलाहियत ओं से नवाजा था।लोगों को अल्लाह की मौजूदगी दिखाने के लिए व गरीबों बेसहारों की मदद के लिए। आप अक्सर कोई ना कोई करामात दिखाया करते थे।आपकी कुछ करामात को ही कलमबंद किया जा सका है। जिन्हें हम और आप जानते हैं। आपके और भी बहुत से करामात को दुनिया ने देखा है। लेकिन उनको कलमबंद नहीं किया जा सका है।ऐसे ही कुछ खास कलमबंद करामात को हम जानेंगे जो इस तरह हैं•••
ख्वाजा गरीब नवाज जमीन के अंदर व आसमान के ऊपर की खबर रखते थे
बात उस वक्त की है। जब आप अपने उस्ताद हजरत उस्मान हारुनी से तालीम ले रहे थे। एक दिन आपके उस्ताद ने आपसे पूछा।हे मोइनुद्दीन चिश्ती अपनी नजरों से जमीन और आसमान को देखकर उनका हाल मुझे बताओ। आपने जमीन और आसमान को देखा फिर अपने उस्ताद को जवाब दिया। और कहा हे मेरे पीर ओ मुर्शिद मुझे जमीन के नीचे व आसमान के ऊपर की चीजें नजर आ रही हैं। जवाब को सुनकर आपके उस्ताद ने कहा ऐ मोइनुद्दीन मैं तुम्हें इससे और आगे पहुंचाना चाहता हूं। कुछ सालों के बाद आपके उस्ताद ने फिर वही सवाल दोहराया। तो आपने जमीन और आसमान को देखकर बताया।ऐ मेरे पीर ओ मुर्शिद मुझे जमीन के नीचे तहतुस्सरा और आसमान के ऊपर अर्श ए आज़म तक दिखाई पड़ रहा है। आपके जवाब से मुतमईन होने के बाद। आपके मुर्शिद हजरत उस्मान हारुनी रहमतुल्लाह ने आपको खिलाफत आता की।
ख्वाजा गरीब नवाज ने अपने करामात से भूंखे को रोटी खिलाई
यह वाकिया भी आपके तालीम सीखने के वक्त की है।कहते हैं कि आपके उस्ताद हजरत उस्मान हारुनी रहमतुल्ला ने एक दिन अपने शागिर्दों को एक जगह पर जमा किया। और सभी शागिर्दों से कहा। अपने-अपने इल्म के जोर से कुछ पेश करो। सभी शागिर्दों ने अपने इल्म से कीमती से कीमती चीजें बनाकर उस्ताद के सामने पेश की। मोइनुद्दीन चिश्ती ने अपने इल्म से एक रोटी बनाई। ये देखकर आपके सभी साथी आप पर हंसने लगे।लेकिन तभी दरवाजे पर एक भूखे इंसान ने दस्तक दी और रोटी खिलाने की गुजारिश की। आपने वह रोटी उस भूखे को खिला दी।आपके दिल में गरीबों की मोहब्बत को देखकर आप के उस्ताद हजरत उस्मान हारुनी रहमतुल्लाह अलैह ने आपको “ख्वाजा गरीब नवाज” का लकब दिया। तब से आज तक आपको इस नाम से जाना जाता है।
ख्वाजा गरीब नवाज ने पृथ्वीराज चौहान के ऊंटों को जमीन से चिपका दिया
जब आप पहली बार हिंदुस्तान तशरीफ लाए। तो सबसे पहले आपने अजमेर शहर के बाहर एक बाग में अपने साथियों के साथ रहने का ठिकाना बनाया। आप अपने साथियों के साथ उस भाग में बैठे थे। तभी वहां पर उस वक्त के राजा पृथ्वीराज सिंह चौहान के सिपाही आ गए। और ख्वाजा जी से कहने लगे कि यह जगह पृथ्वीराज चौहान के ऊंटों के बैठने की जगह है। इसलिए आप लोग यहां से तुरंत चले जाएं नहीं तो हमें जबरदस्ती करनी पड़ेगी। सिपाहियों की इन बातों को सुनकर ख्वाजा गरीब नवाज को बहुत गुस्सा आया। ख्वाजा जी ने सिपाहियों से कहा कि जाओ अब तुम्हारे ऊँट अब यही बैठे रहेंगे।
ये कहकर ख्वाजा गरीब नवाज अपने साथियों के संग आनासागर के पास चले गए। और वहां पर अपने रहने का ठिकाना बनाया। शाम के वक्त जब सिपाही राजा के ऊंटों को लेने के लिए आए तो वे हैरान रह गए। क्योंकि उनके ऊँट जमीन से उठ ही नहीं पा रहे थे। ऊंट को उठाने की सारी तरकीबों को अपना कर जब वह थक गए। तब पृथ्वीराज चौहान को खबर दी और पूरा वाकिया उनको बताया।
पृथ्वीराज चौहान ने इस वाकिए को सुनकर अपने सिपाहियों से बहुत नाराज हुए। और सिपाहियों से कहा तुरंत तुम लोग उस महान संत के पास जाओ और अपनी गलतियों की माफी मांगो। राजा का आदेश पाकर सिपाही आपको खोजते हुए आनासागर पहुंचे। उन्होंने आपसे अपनी गलतियों की माफी मांगी और ऊंट को उठाने की गुजारिश की। तब ख्वाजा गरीब नवाज ने सिपाहियों को माफ कर दिया और कहा जाओ तुम्हारे ऊँट उठ गए हैं। सिपाहियों ने वापस आकर देखा तो वाकई में सारे ऊँट जमीन से उठ गए थे। इस वाकिये को सुनकर पूरे अजमेर शहर में ख्वाजा गरीब नवाज की चर्चा शुरू हो गई।
ख्वाजा गरीब नवाज ने मरी हुई गाय को जिंदा कर दिया
एक बार अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज अपने साथियों के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में एक रोती हुई औरत उन्हें मिली जो अपनी मरी हुई गाय से लिपट कर रो रही थी। जो बहुत उदास थी। आपको मालूम हुआ कि वह औरत बहुत ही गरीब और बेसहारा है। उसके पास इस गाय के अलावा कोई दूसरी चीज नहीं है। जिससे वह अपने बच्चों को दो वक्त की रोटी खिला सके। तब आप उस मरी हुई गाय के पास गए और उस मरी हुई गाय से कहा। ऐ गाय अल्लाह के करम से तू उठ जा। थोड़ी देर में ही वह मरी हुई गाय उठकर चलने लगी।ख्वाजा गरीब नवाज की करामात को देखकर उस गाय की मालकिन औरत बहुत खुश हुई और ख्वाजा गरीब नवाज की मुरीद बन गई।
Khwaja greeb nawsj ki behtreen jankari aapne di
Thanks